आरबीआई (RBI)की शुरुआती दौर तथा महत्पूर्ण जानकारी

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क्या आपको पता है कि भारतीय रिजर्व बैंक क्या हैं और यह क्या कार्य करता है? तो हम बता दे आपको, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत का केंद्रीय बैंक है, जिसे बैंकों का बैंक भी कहा जाता है|
भारत के सभी बैंकों का संचालक है भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत की सर्वोच्च मौद्रिक संस्था है. RBI की स्थापना 1935 में RBI अधिनियम 1934 द्वारा की गई थी|

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई?

भारतीय रिज़र्व बैंक(RBI) की स्थापना 1935 में, RBI अधिनियम 1934 के तहत जॉन हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिशों पर 1926 में की गई थी,
जिसे भारतीय मुद्रा और वित्त पर रॉयल कमीशन भी कहा जाता था, जो देश का केंद्रीय बैंक है
और 01 जनवरी 1949 को राष्ट्रीयकृत किया गया था. तब से यह भारत सरकार के अंतर्गत कार्य करता है
शुरुआत में रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे वर्ष 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया।
केंद्रीय कार्यालय वह कार्यालय है जहाँ RBI का गवर्नर बैठता है और जहाँ नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्य कार्य (Functions of RBI)

1.मुद्रा जारी करना (Issue of Bank Notes) : भारतीय रिजर्व बैंक के पास देश में नोटों को छापने का एकाधिकार है
एक रुपये का नोट जिसे करेंसी नोट कहा जाता है केन्द्र सरकार द्वारा जारी किया जाता हैभारतीय रिजर्व बैंक के पास भारतीय मुद्रा को मुद्रित करने की शक्ति है
सन 1935 से पहले मुद्रा छपाई की जिम्मेदारी भारत सरकार के पास थी
एक रुपये पर वित्त सचिव का हस्ताक्षर होता है। RBI एक रूपए के नोट को छोड़कर सभी प्रकार के नोट जारी करने का अधिकार है.नोट छापने का काम रिज़र्व बैंक द्वारा भारत सरकार की सलाह से किया जाता है
और भारत सरकार भी रिज़र्व बैंक से पूछ कर ही कोई निर्णय लेती है

2.भारत सरकार का बैंक(Banker to Government): यह राज्य और केन्द्र सरकार के सभी बैंकिंग कार्य करता है और आर्थिक और मौद्रिक नीति से संबंधित मामलों पर सरकार को उपयोगी सलाह भी देता है
आरबीआई सरकार के व्यावसायिक लेनदेन को सम्पादित करता है केंद्र और राज्य सरकारों के लिये यह व्यापारी बैंक की भूमिका अदा करता है
भारतीय रिजर्व बैंक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य भारत सरकार और राज्यों के बैंक के रूप में कार्य करना है|

3.बैंकों का बैंक (Custodian of Cash Reserves of Commercial Banks) :भारतीय रिजर्व बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों के लिए उसी प्रकार कार्य करता है
जिस प्रकार अन्य बैंक आमतौर पर अपने ग्राहकों के लिए कार्य करते हैं बैंकों को वित्तीय सहायता प्रदान करके अंतिम ऋणदाता के रूप में कार्य करता है
रिजर्व बैंक सकट के समय आर्थिक सहायता प्रदान करता है|

4.क्रेडिट का नियंत्रक(Controller of Credit):भारतीय रिजर्व बैंक देखता है कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त धन आपूर्ति है
और इससे देश में मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा हो सकती है तो वह अपने कड़े मौद्रिक नीति के माध्यम से बाजार में पैसे की आपूर्ति में कमी करता है
और जब अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति में कमी हो जाती है
तो वह बाजार में पैसे की आपूर्ति को बढ़ा देता हैयह दिशानिर्देश जारी करता है

5.विदेशी मुद्रा भंडार का : विदेश विनिमय बाज़ार में जब विदेशी मुद्रा की आपूर्ति कम हो जाती है
तो भारतीय रिजर्व बैंक इस बाजार में विदेशी मुद्रा बेचता है जिससे कि इसकी आपूर्ती बढाई जा सके |वर्तमान में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर है
RBI विदेशी मुद्रा बाजार से विदेशी मुद्रा को खरीदता है देश के विदेशी मुद्रा भंडार की सुरक्षा भी करता है

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भारत का केन्द्रीय बैंक देश की मौद्रिक नीति को बनाता है और उन सभी उपायों को करता है
जिससे कि अर्थव्यवस्था में आवश्यकता के अनुसार मुद्रा की पूर्ती सुनिश्चित की जा सके
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