उत्तराखंड में एक चरण में होंगे मतदान,14 फरवरी को दिया जाएगा वोट, 21 जनवरी को जारी होगी अधिसूचना

उत्तराखंड में एक चरण में होंगे मतदान,14 फरवरी को दिया जाएगा वोट, 21 जनवरी को जारी होगी अधिसूचना

बीते सालों के अनुसार उत्तराखंड में 15 फरवरी को वोट डाले गए थे जबकि मतगणना तारीख 11 मार्च को हुई थी।चुनाव आयोग ने शनिवार 15 जनवरी को उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया था। यह एक चरण में 14 फरवरी को मतदान होने वाला है। इसके लिए 21 जनवरी को अधिसूचना जारी की जाएगी,28 जनवरी को नामांकन, 19 जनवरी को नामांकन की जांच होगी, 31 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे तथा 14 फरवरी को पूरे प्रदेश में वोट डाले जाएंगे इसके नतीजे 10 मार्च तक आ जाएंगे पिछली वरना “2017 का चुनाव” प्रदेश में 15 फरवरी को वोट डाले गए थे जबकि वोटों की गिनती 11 मार्च को हुई थी।

आइए अब हम उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के विषय में जाने

1.पुष्कर सिंह धामी;- मुख्यमंत्री के चेहरे में कोई बदलाव नहीं है पुष्कर सिंह धामी है भाजपा की तरफ से चुने गए है।
2.हरीश रावत:- कांग्रेस ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया है इसके बावजूद हरीश रावत कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहेंगे।

3.अजय कोठियाल:- जैसा कि आप जानते हैं आम आदमी पार्टी की ओर से कर्नल अजय कोठियाल मुख्यमंत्री पद का प्रमुख चेहरा है। आम आदमी पार्टी ने बीते 17 अगस्त को ही पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे का ऐलान कर दिया था।
सूत्रों के मुताबिक कोठी आज 26 साल तक सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

चुनाव की प्रमुख विषय

नए जिलों का गठन:-2000 में अलग राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड में एक भी नया जिला नहीं बना है।कांग्रेस ने सरकार बनने से पूर्व घोषणा कि “हम 9 जिलों का निर्माण करेंगे” वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने वादा किया है कि वह अगर सत्ता में आई तो 6 नए जिलों का निर्माण करवाएगी तथा वहीं बीजेपी लेगा है कि नए जिलों के गठन के लिए बनाए गए आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही कोई फैसला लिया जाएगा।

बेरोजगारी और पलायन जैसा कि आप लोग जानते हैं कि रोजगार के अवसर नहीं होने के कारण पहाड़ी इलाकों से लोग शहरी इलाकों की तरफ पलायन कर रहे हैं यह एक काफी बड़ा मुद्दा है पलायन यह इतना बड़ा मुद्दा है कि सरकार ने पलायन रोकने के लिए पलायन आयोग को भी गठित कर रखा है इसी आयोग की रिपोर्ट कहती है कि अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड से गरीब 60% तक की आबादी घर छोड़ चुकी है बेरोजगारी पर विपक्षी दलों का दावा है कि राज्य में बेरोजगारी राष्ट्रीय बेरोजगारी दर से भी दोगुनी हो चुकी है

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