History of Golden Temple:स्वर्ण मंदिर पंजाब राज्य में स्थित है यह मंदिर भारत में ही नहीं पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है स्वर्ण मंदिर को हरविंदर साहिब के नाम से भी जाना जाता है यह सिख धर्म में सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक स्थलों में से एक है मंदिर का ऊपरी माला 400 किलो सोने से बना है वैसे तो यह सिखों का एक गुरुद्वारा है यह मंदिर सिखों के साथ-साथ भारत के हर धर्म को एक समान समझता है दुनियाभर से करोड़ों सैलानी इस मंदिर को देखने के लिए अमृतसर आते हैं इस मंदिर के चारों ओर बने दरवाजे सभी धर्म के लोगों को यहां आने के लिए आमंत्रित करते हैं|
स्वर्ण मंदिर का इतिहास( History of Golden Temple)
अमृतसर में स्थित विख्यात हरमिंदर साहिब मंदिर निर्माण का इतिहास 400 वर्षों से भी ज्यादा है इस मंदिर की नींव सिख धर्म के चौथे गुरु राम दास जी ने रखी थी और पांचवे गुरु अर्जन देव ने मंदिर की स्थापना की थी|हरमिंदर साहिब का निर्माण 1577 में शुरू होकर 1585 में पूर्ण हुआ यह स्थान गुरु राम दास का डेरा हुआ करता था|अमृतसर अपनी संस्कृति और लड़ाई के लिए बहुत विख्यात रहा है|स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया जा चुका है लेकिन भक्ति और आस्था के कारण इसे दोबारा बनवा दिय अफगान हमलावरों ने 19वीं शताब्दी में इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया|कई बार नष्ट होने के बाद महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया था और इसे सोने की परत से सजवाया था|
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स्वर्ण मंदिर का निर्माण पवित्र टंकी के बीचो बीच यानी कि तालाब के बीच किया गया है जिसमें बाद में सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ आदि ग्रंथ को भी स्थापित किया गया|
गुरु साहिब ने इसे जाति,वर्ण,लिंग और धर्म के आधार पर किसी भेदभाव के बिना प्रत्येक व्यक्ति के लिए बनाया|
स्वागतम इस पवित्र तीर्थ स्थल के अंदर एक अकाल तख्त भी है जो कि सिखों के लिए बहुत पवित्र माना जाता है|जिसे सिख धर्म के छठवें गुरु हरगोविंद जी का घर मान जाता है|1984 में आतंकी भिंडरावाला ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था लेकिन भारतीय सेना ने कब्जे से मुक्त करवाया|
स्वर्ण मंदिर से जुड़ी रोचक बातें(Interesting facts about the Golden temple)
अमृतसर में मौजूद स्वर्ण मंदिर भारत के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक केंद्रों में से एक है।यह गोल्डन टेंपल सबसे अधिक देखे जाने वाले गुरुद्वारों की सूची में भी शामिल है इस आर्टिकल में हम आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ मजेदार और रोचक बातें बताते हैं।
- 500 किलोग्राम से भी अधिक सोने का क्या गया था इस्तेमाल|
स्वर्ण मंदिर को बनाने में 500 किलोग्राम से अधिक सोने का उपयोग किया गया था। इस सोने की कीमत आज के टाइम में 140 करोड़ से भी अधिक है।
- मंदिर के पवित्र तालाब में है औषधीय गुण का भंडार।
गोल्डन टेंपल के आसपास के तालाबों को अमृत सरोवर भी कहा जाता है और इसे भक्तों द्वारा अत्यंत पवित्र माना जाता है अमृत सरोवर का अर्थ है अमर होने के लिए अमृत फूल। ऐसा कहा जाता है कि सरोवर में डुबकी लगाने से बीमारियां भी ठीक हो जाती है।
- दुनिया की सबसे बड़ी रसोई का खिताब।
बताया जाता है कि स्वर्ण मंदिर में कभी लंगर सेवा नहीं रुकती है यहां सभी को खाना परोसा जाता है गोल्डन टेंपल में प्रतिदिन 50,000 से अधिक भोजन परोसे जाते हैं जिस वजह से इसे दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक रसोई भी कहा जाता है।
- स्वर्ण मंदिर के डिजाइनिंग में इस्तेमाल किया गया था 24 कैरेट सोना।
अमृतसर के गुरुद्वारे को स्वर्ण मंदिर इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसे बनाने में 24 कैरेट सोने की परत का इस्तेमाल किया गया है। बताया जाता है कि 1830 में गर्भ गिरी को सोने की पन्नी से ढक दिया गया था।
- स्वर्ण मंदिर के चार प्रवेश द्वार।
स्वर्ण मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं जो चारों दिशाओं उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम की तरफ है। यह प्रवेश द्वार यह सूचित करते हैं कि यह मंदिर दुनिया के हर भागों से भक्तों का बिना किसी रूकावट के पूरे दिल से स्वागत करता है।
- सिखों का सबसे पवित्र स्थल।
स्वर्ण मंदिर को सिखों के सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। पंजाब के अमृतसर में बनाया स्वर्ण मंदिर सिखों का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है करीब एक लाख से ज्यादा पर्यटक रोज यहां आते हैं|
- स्वर्ण मंदिर की नींव।
इस मंदिर की नीव लाहौर के साईं मियां मीर नाम के एक मुस्लिम सूफी संत ने दिसंबर 1588 में रखी थी। मंदिर का निर्माण सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जन सिंह ने करवाया था। स्वर्ण मंदिर का निर्माण 1581 में शुरू हुआ और काम पूरा करने में लगभग 8 साल का समय लगा।
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