christmas day ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाता है|यह त्यौहार ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है इसे बड़ा दिन के नाम से भी जाना जाता है प्रत्येक साल 25 दिसंबर को christmas day पूरे विश्व में अधिकतर देशों में मनाया जाता है|
पहली बार क्रिसमस डे 336 ई. में रोम मे मनाया गया था इस दिन लोग एक दूसरे को तोहफा देते हैं और जगह-जगह पर पाए पार्टी का आयोजन किया जाता है|आइए जानते हैं christmas day के बारे में क्या है इसका इतिहास क्यों मनाया जाता है और अनेको जानकारियां इस पोस्ट में आपको जानने को मिलेगा|
क्रिसमस डे के पीछे का इतिहास(History of Christmas Day)
क्रिसमस डे 25 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला इसाई धर्म का एक बड़ा त्यौहार है इस दिन पूरे दुनिया में सरकारी और निजी अवकाश होता है लगभग 2 शताब्दी से यह त्यौहार दुनिया भर में मनाया जा रहा है|क्रिसमस डे को यीशु के जन्मदिन की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है ईसा मसीह का सही जन्म तिथि ज्ञात नहीं है|380 ई के आसपास रूम के एक चर्च में ईसा मसीह के जन्मदिन पर पहली बार समारोह का आयोजन किया गया था इस आयोजन में स्वयं पोप ने भी हिस्सा लिया था|उस समय तारीख को लेकर मतभेद जारी था|
रोम के ईसाई धर्म के लोगों ने 25 दिसंबर का दिन चुना क्योंकि इस दिन राम के गैर ईसाई सूर्य का जन्मदिन मनाते थे वह मानते थे कि सर्दियों के मौसम में जब सूर्य की गर्मी कम हो जाती है तो गैर ईसाई इस इरादे से पूजा-पाठ करते और रीति रस्म मनाते हैं कि सूर्य अपनी लंबी यात्रा से लौट आए और दोबारा उनकी गर्मी और रोशनी दे|उनका मानना था कि दिसंबर 25 को सूरज लौटना शुरू होता है और इसाई लोग भी चाहते थे कि यीशु का जन्मदिन भी इसी दिन मनाया जाए तब से प्रत्येक साल 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिन मनाया जाता है शुरू में इस बात को लेकर मतभेद भी हुआ था|क्या ऐसा का जन्मदिन मनाना चाहिए इससे पहले ईशा के बलिदान और पुनरुत्थान का ईस्टर ही ईसाइ धर्म का प्रमुख त्यौहार हुआ करता था|आज यह त्यौहार पूरे विश्व भर में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है इस दिन कई देशों में राजकीय अवकाश होता है|
क्रिसमस डे मनाने की कहानी(story of christmas day)
बाइबिल के अनुसार माता मरियम के गर्भ से ईसाई धर्म के ईश्वर ईसा मसीह का जन्म हुआ था। ईसा मसीह के जन्म से पूर्व माता मरियम कुंवारी थी। उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी यूसुफ़ नामक व्यक्ति से हुई थी। एक दिन मरियम के पास स्वर्गदूत आए और उन्होंने कहा कि जल्द ही आपकी एक संतान होगी और उस बच्चे का नाम जीसस (m रखना है। स्वर्गदूत ने बताया कि जीसस बड़ा होकर राजा बनेगा तथा उसके राज्य की कोई सीमा नही होगी, जो इस संसार को कष्टों से मुक्ति का रास्ता दिखलाएगी।
माता मरियम ने संकोचवश कहा कि मैं तो अभी अविवाहित हूं, ऐसे में यह कैसे संभव है। देवदूतों ने कहा कि यह सब एक चमत्कार के माध्यम से होगा। जल्द ही माता मारियम और यूसुफ की शादी हुई। शादी के बाद दोनों यहूदिया प्रांत के बेथलेहेम नामक (Bethlehem) जगह रहने लगे। यहीं पर एक रात अस्तबल में ईसा मसीह का जन्म हुआ। इसी दिन आकाश में एक तारा बहुत ज्यादा चमक रहा था और इससे लोगो को इस बात का अनुभव हो गया था कि रोम के शासन से बचने के लिए उनके मसीहा ने जन्म ले लिया है। ईसा मसीह के जन्मोत्सव को ही लोग आज भी क्रिसमस के रूप में मनाते हैं।
ईसा मसीह ने दुनिया को एकता और भाईचारे की सीख दी। ‘उन्होंने लोगों को भगवान के करीब रहने का मार्ग दिखाया।’ ईसा मसीह ने क्षमा करने और क्षमा मांगने पर जोर दिया। उन्होंने अपने हत्यारों को भी माफ किया।
क्रिसमस के दिन क्या-क्या होता है और कैसे बनाते हैं क्रिसमस डे?
इस दिन धर्म के समुदाय द्वारा कैरोल्स गाए जाते हैं|
और प्रार्थनाएं भी करते हैं|
इस दिन दुनिया के सभी गिरजाघरों में यीशु की जन्मगाथा और झांकियां प्रदर्शित की जाती है|
24-25 दिसंबर को के बीच रात को पूरे समय आराधना और पूजा की जाती है|
इस दिन सभी गिरजाघरों को सजाया जाता है|
घरों में क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है|
इस दिन लोग एक-दूसरे को उपहार आदान प्रदान करते हैं|
कई लोग संता क्लॉज कपड़े पहन कर बच्चों को गिफ्ट देते हैं|
क्रिसमस ट्री:-क्रिसमस वाले दिन सदाबहार पेड़ों का इस्तेमाल किया जाता है और उसे सजाया जाता है इसे ही क्रिसमस ट्री कहते हैं|ईसा मसीह के जन्म से पहले कुछ सभ्यताओं में सदाबहार पेड़ों की पूजा की जाती थी|चौथी सदी में रोम साम्राज्य के ग्रामीण लोग अपने घरों को सजाने के लिए इस पैड का इस्तेमाल किया करते थे सदाबहार के पेड़ों की शाखाओं और डालियों को सजाने के पीछे लोगों का मानना था कि किसी भी तरह की जादू टोने का असर नहीं होता है और बीमारियों से भी दूर रहते हैं|
सैंटा क्लॉस:-जब क्रिसमस डे की बात आती है तो आपने सेंटा के बारे में तो जरूर सुना होगा क्या आपको पता है सेंटा कौन थे पहले सेंटा तीसरी शताब्दी में जन्मे सैंट निकोलस को संता क्लॉज के नाम से जाना जाता है सैंटा क्लॉस का जन्म आधुनिक तुर्की में मैं हुआ था निकोलस रईस परिवार से थे जो हमेशा जरूरतमंदों की मदद करते थे|उन्हें अपनी धार्मिकता और दया के लिए जाना जाता था अभी जो सैंटा क्लॉस लाल पोशाक और लंबी दाढ़ी पहनकर दिखाई देते हैं दरअसल पहले सैंटा क्लॉस ऐसे नहीं थे सैंटा क्लॉस का यह रूप 19वीं सदी में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में सामने आया तभी से सभी लोग सैंटा क्लॉस का रूप धारण करके मनोरंजन करते हैं|
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