Ratan Tata एक ऐसा नाम है जो किसी व् पहचान का मोहताज नहीं है तुरंत ही सभी की पहचान बना लेता है। टाटा समूह के वंशज ने न केवल एक सफल उद्योगपति बल्कि एक महान इंसान और परोपकारी के रूप में सम्मान अर्जित किया है।इन्हे आज हर कोई सम्मान की नजरो से देखता है क्योकि इन्होने अपने भारत देश और भारत के लोगो के लिए बहुत कुछ किया है |
भारत में सर्वश्रेष्ठ अध्यक्ष के रूप में पहचाने जाने वाले, उन्होंने हमेशा सामाजिक और कर्मचारी कल्याण को व्यावसायिक लाभ से ऊपर रखा है। उन्होने कभी किसे को छोटा नहीं समझा सब का बराबर से ख्याल रखा |
वह 1990 में टाटा संस के अध्यक्ष बने और फिर 2016 में फिर से अंतरिम अध्यक्ष बने। उनके कार्यकाल के दौरान अपनी मेहनत से टाटा समूह को महान ऊंचाइयों पर पहुंचाया |
प्रारंभिक जीवन (Ratan Tata ) Early Life
Ratan Tata का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को भारत के सूरत शहर में हुआ था।इनका पिता का नाम नवल टाटा और माता का नाम सोनू टाटा था इनकी दादीमाँ ने अपने पति के निधन के बाद इनको गोद ले लिया था जब ये 10 थे और इनका छोटा भाई 7 साल का था तभी इनके माता पिता के बिच कुछ बात होने की वजह से 1940 के दसक में अलग होना पड़ा था उन दोनों के अलग होने के बाद इनका देखभाल इनकी दादीमाँ नवजबाई ने किया इनका एक सौतेला भाई भी है जिनका नाम नोएल टाटा है |
Ratan Tata की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई और माध्यमिक शिक्षा कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से। इसके बाद उन्होंने अपना बी एस वास्तुकला में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ कॉर्नेल विश्वविद्यालय से 1962 में पूरा किया। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से सन 1975 में एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
कैरियर ( Ratan Tata ) Carrier
भारत लौटने से पहले Ratan Tata ने लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, में जोन्स और एमोंस में कुछ समय कार्य किया। लेकिन अपनी दादी की बिगड़ती तबीयत को देख अमेरिका में बसने का सपना छोड़कर उन्हें वापस इंडिया आना पड़ा।
उन्होंने टाटा ग्रुप के साथ अपने करियर की शुरुआत सन 1961 में की। शुरुआती दिनों में उन्होंने टाटा स्टील पर कार्य किया। इसके बाद वे टाटा ग्रुप के और कंपनियों के साथ जुड़े। एक समय आया जब उन्हें 1971 में राष्ट्रीय रेडियों और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) में डायरेक्टर इंचार्ज के लिए चुना गया।
1981 में उन्हें टाटा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उस समय कंपनी काफी घाटे में चल रही थी और बाजार में कंपनी की हिस्सेदारी सिर्फ 2% था और घटा 40% था।
सन 1991 में जेआरडी टाटा ने ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया और Ratan Tata को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
इसके बाद से ही उनके करियर की असली नींव रखी गई। उसके बाद वो धीरे-धीरे टाटा ग्रुप की और कंपनियों के साथ जुड़ गए। कुछ साल बाद Ratan Tata ने कंपनी को काफी मुनाफा पहुंचाया।
रतन के नेतृत्व में टाटा समूह ने नई ऊंचाइयों को छुआ। उनके नेतृत्व में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने पब्लिक इशू जारी किया जिसके बाद टाटा मोटर्स को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टड किया गया।
साल 1998 में टाटा ने अपनी पहली भारतीय कार तैयार की जिसका नाम था टाटा इंडिका। इसके बाद टाटा ने टेटली, टाटा मोटर्स ने जैगुआर लैंड रोवर और टाटा स्टील ने कोरस को तैयार किया। जिसके बाद भारतीय उघोग में टाटा का नाम दर्ज हो गया। दुनिया की सबसे सस्ती कार यानि टाटा नैनो भी रतन टाटा की सोच है।
जिसको लोगों ने काफी पसंद किया Ratan Tata एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं जो कभी भी झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं रखते वो सिर्फ काम करना जानते हैं और उसका इस्तेमाल कैसे करना है हमेशा से ही उनकी सोच यही रही है।
28 दिसंबर 2012 को उन्होंने रेटियारमेंट ले लिया उनके स्थान पर साइरस मिस्त्री ने लिया फिर भी Ratan Tata ने काम छोरा उन्होंने भारत के इ-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील में अपना व्यक्तिगत निवेश किया है। इसके साथ-साथ उन्होंने एक और इ-कॉमर्स कंपनी अर्बन लैडर और चाइनीज़ मोबाइल कंपनी शाओमी में भी निवेश किया है|
Ratan Tata ने भारत के अलावा कई देशों के संगठनों में भी अपनी अहम भूमिका निभाई है। वह प्रधानमंत्री की व्यापार उघोग परिषद और राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्प्रर्धात्मकता परिषद के सदस्य भी हैं। इसके साथ ही वो कई कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी हैं।
रतन टाटा का सपना टाटा नैनो (Ratan Tata ) Dream Nano Car
2008 में Ratan Tata ने अपना सपना पूरा करते हुए अपने देश के लोगो के लिए सबसे सस्ती और टिकाऊ कार को मार्किट में लंच किया जिसका नाम टाटा नैनो रखा जिसका शुरुआती कीमत सिर्फ एक लाख रखा था |
सम्मान ( Ratan Tata ) Awards
Ratan Tata जी को बहुत सरे सम्मान मिला है जिनमे से एक सन 2000 में पद्म भूषण और सन 2008 में पद्म विभूषण से उनको सम्मानित किया गया ये सम्मान देश के तीसरे और दूसरे सर्बोच्च नागरिक सम्मान है | उन्हें और भी बहुत सारे सम्मान मिला है जो इस प्रकार है:-
वर्ष | पुरस्कार | संगठन |
2015 | मानद | एचईसी पेरिस |
2015 | ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग की मानद डॉक्टर | क्लेमसन विश्वविद्यालय |
2014 | सयाजी रत्न पुरस्कार | बड़ौदा मैनेजमेंट एसोसिएशन |
2014 | ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के मानद नाइट ग्रैंड क्रॉस | यूनाइटेड किंगडम |
2013 | डॉक्टरेट की मानद उपाधि | एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय |
2013 | विदेश एसोसिएट | नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग |
2012 | व्यापार मानद डॉक्टर | न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय |
2010 | इस साल के बिजनेस लीडर | एशियाई पुरस्कार |
2010 | लीडरशिप अवार्ड में लीजेंड | येल विश्वविद्यालय |
2010 | शांति पुरस्कार के लिए ओस्लो व्यापार | शांति प्रतिष्ठान के लिए व्यापार |
2010 | लॉ की मानद डॉक्टर | कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय |
2009 | 2008 के लिए इंजीनियरिंग में लाइफ टाइम योगदान पुरस्कार | इंजीनियरिंग इंडियन नेशनल एकेडमी |
2009 | ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के मानद नाइट कमांडर | यूनाइटेड किंगडम |
2008 | मानद फैलोशिप | इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान |
2008 | साइंस की मानद डॉक्टर | इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खड़गपुर |
2008 | साइंस की मानद डॉक्टर | इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मुंबई |
2006 | साइंस की मानद डॉक्टर | इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मद्रास |
2004 | प्रौद्योगिकी के मानद डॉक्टर | एशियन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी |
2001 | बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के मानद डॉक्टर | ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी |
रतन टाटा के 7 सबसे सुन्दर बाते (Ratan Tata) top 7 best line
POWER AND WEALTH ARE NOT TWO OF MY MAIN STAKES.
( सत्ता और धन मेरे दो प्रमुख सिद्धांत नहीं हैं। )
I DON’T BELIEVE IN TAKING RIGHT DECISIONS. I TAKE DECISIONS AND THEN MAKE THEM RIGHT.
( मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूँ और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूँ। )
THERE ARE MANY THINGS THAT, IF I HAVE TO RELIVE, MAYBE I WILL DO IT ANOTHER WAY. BUT I WOULD NOT LIKE TO LOOK BACK AND THINK WHAT I HAVE NOT BEEN ABLE TO.
( ऐसी कई चीजें हैं, जो अगर मुझे दोबारा जीने के मौका मिले तो शायद मैं अलग ढंग से करूँगा। लेकिन मैं पीछे मुड़कर ये नहीं देखना चाहूँगा कि मैं क्या नहीं कर पाया। )
IF YOU WANT TO WALK FAST, WALK ALONE. BUT IF YOU WANT TO WALK FAR, WALK TOGETHER.
( अगर आप तेजी से चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए। लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ मिलकर चलिए। )
NONE CAN DESTROY IRON, BUT ITS OWN RUST CAN! LIKEWISE NONE CAN DESTROY A PERSON, BUT ITS OWN MINDSET CAN!
( कोई लोहे को नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी जंग कर सकती है! उसी तरह कोई किसी इंसान को बर्बाद नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी मानसिकता कर सकती है। )
UPS AND DOWNS IN LIFE ARE VERY IMPORTANT TO KEEP US GOING, BECAUSE A STRAIGHT LINE EVEN IN AN ECG MEANS WE ARE NOT ALIVE
( आगे बढ़ने के लिए जीवन में उतर-चढ़ाव बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि ईसीजी में भी एक सीधी लाइन का मतलब होता है कि हम जिंदा नहीं हैं। )
THE DAY I AM NOT ABLE TO FLY WILL BE A SAD DAY FOR ME.
( जिस दिन मैं उड़ान नहीं भर पाऊंगा, वो मेरे लिए एक दुखद दिन होगा। )